Saturday, March 4, 2017

26 जनवरी को लाहौल स्पिति की तरफ बर्फबारी का सामना हौसले और तैयारी से कैसे किया ( भाग-2 )

       जो हम सोचते है वो हम कर सकते है ,फर्क बस हिम्मत और तरीके का होता है

super

सुबह की ठंड और खिड़की से दिखता बर्फ की चादर ओढ़े पूरी घाटी । क्या चाहिए और घूमना सफल हो जाता है जब दिल खुश हो जाये, नहीं तो ख्वाइशे कभी पूरी नहीं होती। आराम से उठे और नहाने के बाद लगभग 11 बजे होटल से निकले। रात को भी २-3 इंच बर्फ गिरी थी क्योकि गाड़ी के शीशे और छत पर इतनी बर्फ जमा थी। गाड़ी में सामान रखा और बर्फ हटाई , गाड़ी के पिछले टायर में पंक्चर था जिससे काफी हद तक हवा निकल गयी थी। पंप लगाया और हवा भर दी , सामान हो तो फायदे बहुत। कुछ फोटो लेने के बाद रिकोंग पीओ को अलविदा कहा और चल दिए वापसी शिमला की और।

जब आगे नहीं जा सकते और समय की कमी नहीं हो तो घर वापिस क्यों जाना , हिमालय में बहुत सारी जगह है घूमने को। नाश्ता और लक्ष्य वापस टापरी के मशहूर पप्पू दे ढाबा पर निर्धारित की जाएगी। बारिश में चलते हुए हम टापरी रुके और खाना खाया ,लेकिन आज कहना इतना स्वादिस्ट नहीं मनाया था , पप्पू भाई को बोला की आज कुछ कमी रह गयी खाने के स्वाद में। यहाँ पर फिर एक कोल्ड्रिंक ली और टायर में हवा भरी और चल दिए। निर्णय ये लिया की या तो शिमला रुकेंगे या मण्डी। लेकिन में आज तक अपने जीवन में कभी शिमला नहीं रुका और न रुकने का मन था क्योकि जहा भीड़ होती है वहा मेरे दिल नहीं कहता रुकने को। उम्मीद थी की शाम होने से पहले अपने गन्तव्य तक पहुँच जायेंगे चाहे वो जो भी हो ,
snowfall view of spiti valley
वापसी में रिकोंग से नज़ारा 
तक़रीबन 4 बजे के आस पास हम नारकंडा से पहले सैन्झ/साँझ आता है जो की एक दूसरा रास्ता भी है अगर कभी शिमला -कुफरी -नारकण्डा को छुए बगैर आपको रामपुर/स्पिति आना हो। सैन्झ आते ही पता नहीं गाड़ी कैसे मंडी वाले रस्ते पर हो ली। ये रोड सैन्झ -ओट -बंजर रोड जनि जाती है क्योकि ये  होकर ही मंडी जुड़ती है। मुझे इस रोड के बारे में कोई खास जानकारी नहीं थी और इसीलिए मेरे को याद है में मेने पंकज से कहा "ज़िन्दगी हमेशा मोके देती है कुछ नया सीखने और जानने के लिए शायद इसिलए हम इस रास्ते पर है आज " मेने ये सोचा था की आज मंडी होते हुए पाराशर ऋषि जायेंगे और तरकीबें 10 किलोमीटर पहले अगर बर्फ मिलेगी भी तो स्नो चैन लगा लूंगा क्योकि वहा इतनी कड़ी चढाई नहीं है ,क्योकि दिसम्बर में भी वहाँ पर
parashar rishi in winters
पाराशर ऋषि से पुरानी फोटो 
अकेला बर्फ में मौज करता हुआ जा चूका हु।  खैर वापस यात्रा पर चलते है, रोड बहुत ही शानदार है और ऊपर से दुर्गम रास्ता बोले तो केवल एक गाड़ी के लायक चोड़ी रोड है ऊपर से हर 100-200 मीटर बाद अँधा मोड़ और भी रोचक सफर बना देता है। इस रोड पर दो रास्ते जाते है मंडी से जिसका मुझे रात 6:30 बजे पता लगा। इस रोड पर एक ही मुख्य शहर आता है वो है आनी।
shimla bypass road for mandi
आनी - तूफान इंतज़ार करते हुए 
सरकारी बस खूब चलती है और बस अड्डा भी है बकायदा। लेकिन गलिया बड़ी संकरी है। बीच रस्ते में कभी नदी आपके साथ होती तो कभी साधारण जंगल और कभी जंगल में चीड़ के पेड। घुमावदार रास्ते से होते हुए कुदरत ने  शानदार नज़ारा दिखाया और क्या चाहिए था। अध्भुत
beautiful picture
दिव्य रौशनी कहते हुए जा सनी जा जी ले --हाहाहा 
शाम हो आयी थी और कार की लाइट जला दी थी लगभग 6 बजे होंगे तभी एक चमत्कारी मील का पत्थर दिखा। उस पर लिखा था जलोड़ी जोत 6 किलोमीटर। उसे पढ़ते ही मेरे होश उड़ गए क्योकि मुझे पता था  इसको इतनी बर्फ़बारी में जालोड़ी पास को पार ही नहीं किया जा सकता , इतना तो मेने पढ़ा है और बहुत फोटो देखे है इसके पिछले कई सालो में। अब गाड़ी रोकी और घुमा कर खड़ी कर दी वापसी जाने के लिए और सोचा की नीचे कही रुक लेंगे , लेकिन दिल नहीं बोल रहा वापिस जाने के लिए। पंकज और रमन से राय ली तो रमन भी बोला " भाई ए है तो आगे ही चलते है वपास क्यों जाना " बस ये कहना था और मेने वापस गाड़ी घुमा दी जलोड़ी पास की तरफ। तो अब पता लगा की आनी से 5 किलोमीटर पहले जो रास्ता नीचे की तरफ जाता है वो भी मंडी निकल जाता है और उसपर बर्फ का कोई चक्कर नहीं।
jalodi pass milestone
चमत्कारी पत्थर ,जिससे देखने के बाद होश उड़ गए 
खैर हममे वापस जाने की शक्ति थी भी नहीं । 3-4 बुजुर्ग जा रहे थे उनसे पूछा की आस पास कॊइ रुकने की जगह है क्या। उन्होंने बताया 500मीटर आगे खनाग में ही फारेस्ट वालो का गेस्ट हाउस है और उनसे गेस्ट हाउस वाले का नाम पूछ लिया फिर क्या भाई ने गाड़ी घुमा दी गेस्ट हाउस की तरफ। और जाते ही आवाज लगायी (भूल गया नाम अब, याद आते ही बताऊंगा कमेन्ट में ) और उन भाईसाहब के बाहर आते ही बोला " भाई पहचाना याद है या नहीं , रात में नहीं पहचान रहे या दाढ़ी बढ़ा रखी है इस लिए, 3 बार पहले भी रुक चुका हु यहाँ ,याद आया  " वो भाई भी इक्कीस मिला और बोला " क्या भाई, क्या बात कर रहे हो पहचान लिया " .... हॅसना मत इसे पढ़कर और ये तीर कही भी इस्तेमाल करना खाली नहीं जायेगा। वहा खनाग के दो लड़के पहले से ही बैठे थे और पूरा गेस्ट हाउस खाली था , मतलब जिस कमरे में चाहो सो जाओ। रसोई में मैगी खाई और रमन पराठे लाया था उनका भी स्वाद लिया गया ,और सुबह सर्लोसर लेक जाने का प्लान बना जो की जालोड़ी जोत के ही पास है ,लगभग 5 किलोमीटर। रात को ही प्लान तैयार हो गया और  सुबह 8 बजे निकलने का निर्णय हुआ और साथ में कुछ खाने का सामान  चलना तय हुआ जैसे की पराठे और मैग्गी।
jalodi pass guest house
सबसे दाय वाला है गेस्ट हाउस का रखवाला 
रूम काफी बड़े ही होते है इन सरकारी गेस्ट हाउस के और थोड़ी सुविधा ये मिल गयी की पंकज/रमन उन भाई का हीटर और ले आये अपने कमरे में। कुछ तो ठंडक कम हुई ही होगी। लेकिन रात की चुनोती अभी बाकि थी --- खराटे वाली चुनोती।
उम्मीद है आप सभी को यात्रा वृतांत अचछा लगा होगा। 


सावधानी और सुरक्षा सबसे पहले ...... जीवन है तो समय ही समय है

पहला भाग पढ़ने के लिए : Alive to Explore: 26 जनवरी को लाहौल स्पिति की तरफ बर्फबारी का सामना हौसले और तैयारी से कैसे किया ( भाग-1 )

youtube channel link: Vikas Malik – YouTube

आखरी भाग इस यात्रा का जल्द ही लिखूंगा।  जलोड़ी पास और उसकी चुनोती अपार तभी तो पास है वो पास कहलाता है।

IF U LIKE MY VIDEOS KINDLY DO SUBSCRIBE MY YOUTUBE CHANNEL





hotel at reckong peo
होटल स्नो व्यू का कमरा 

reckong peo in snow
एक फोटो ऐसे भी सही 
bus timings for spiti
बस चार्ट --टापरी 

beautiful weather picture
सुहाना सफर 

snowfall in kinnaur
शानदार घाटी 
bypass of narkanda
आनी की तरफ जाते वक़्त 



hanuman ji temple
रामदूत अतुलित बलधामा 

rackham dam in kinnaur
रकछम बांध 

market of kinnaur
टापरी और माउंटेन डीयू 

caution board of dam
सावधान। .. पानी कभी भी बढ़ सकता है और पत्थर कभी भी गिर सकते है 

ये है रास्ता आनी से पहले जो मंडी जाता है 

guest house of jalodi pass
खनाग गेस्ट हाउस 

beautiful picture of weather
शानदार मौसम 

parking of reckong peo
पार्किंग रिकोंग पीओ की 

10 comments:

  1. बहुत सुंदर वर्णन है

    ReplyDelete
  2. बहुत बढ़िया भाई जी

    पहचाना नही सुबह मेरठ से निकला था😀😀

    ReplyDelete
    Replies
    1. Hahaha... Dhokha ho gaya is baar. Khair 5 din baad apse kedar baba ke yaha mulakat pakka hogi.

      Delete
  3. "Travel doesn't become adventure
    untill you leave yourself behind."
    hats off to you!

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thank you manish for appreciating . it's always good to see when someone appreciates .

      Delete
  4. बहुत अच्छा भाई, मुझे पहचाना टापरी में मिला था hahahahaha.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Apko kyo nahi pehchanuga , bilkul pehchan liya bhai ji.

      Delete
  5. Like we're with u on the road to mandi and khanag.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Shukriya Kandarp ji, Apka sneh aise hi milta rahe.

      Delete

नेलांग घाटी (तिब्बत जाने का प्राचीन रास्ता और उत्तरकाशी में जानने वाले टूर ऑपरेटरो की लूट) की जगह दयारा बुग्याल की यात्रा (भाग-1)

जब आपके साथ कोई यात्रा करता है तो उसकी सुरक्षा की  जिम्मेदारी आपकी होती है , किसी को छोड़ कर मत भागिए  ग्रतंग गली -नेलांग घाटी, फोटो सौजन...