Friday, March 3, 2017

26 जनवरी को लाहौल स्पिति की तरफ बर्फबारी का सामना हौसले और तैयारी से कैसे किया ( भाग-1 )

तैयारी और किस्मत साथ-साथ चलते है 


लाहौल-स्पिति को सफ़ेद बर्फ की चादर ओढे देखना हर एक घुम्मकड़ का सपना होता है। में भी इंतज़ार में था की कब बर्फ़बारी हो और में काजा तक तो घूम कर आऊंगा ही। 25 दिसम्बर को हर-की-धुन ट्रेक करने के बाद जनवरी 2017 की तैयारी थी और इंतज़ार था 26 जनवरी के हफ्ते का। लेकिन इस बार अपने कैलेंडर में बदलाव करते हुए मेने 12 जनवरी को ही सोच लिया की 26 को लाहौल स्पिति में काजा तक जाने की कोशिश करूँगा जबकि गूगल मैप्स में रोड 5 जगह से बंद दिखा रहा था  ऊपर से 26 की भारी बर्फ़बारी की चेतावनी सभी जगह दिखाई जा रही थी , लेकिन इसकी तैयारी में मेने अपनी कार के लिए स्नो चैन तैयार करवाई और दिल में स्नो बोर्डिंग करने की थी नारकंडा और कुफरी की बर्फ भरी सड़क पर, जिसके लिए मेने एक देसी जुगाड़ तैयार करवाया था क्योकि स्नो बोर्ड ऑनलाइन कही मिला ही नहीं। 

तैयारी  और किस्मत साथ साथ चलते है , दोनों का होना जरुरी है नहीं तो लक्ष्य तक नहीं जा सकते। कुछ यही कहानी है इस बार की। सही 7 बजे रात को घर से ( मेरठ ) से में और पंकज (जो ग्रेटर नॉएडा से  है ) चल दिए सफ़ेद स्पिति देखने के लिए , जब की 100% पता था की नहीं जा पाएंगे क्योकि मौसम बहुत ज्यादा ख़राब है और स्पिति की तो छोड़िये शिमला से आगे भी जाना मुश्किल हो पायेगा।  लेकिन एक बार जब मन में आ गयी तो रुकना क्या। स्नो चैन, टेंट,स्टोव,बेलचा ( बर्फ हटाने के लिए ) , रस्सी ,चैन मिट्टी का तेल और खाना  का सामान ले लिया की कही मुसीबत हो तो देखि जाएगी। 25 जनवरी को लगभग 8:30 बजे जब करनाल पहुँचे जबरदस्त तेज़ बारिश शुरू और बादल भी कडकडाहड़ की आवाज़ के साथ कुछ कहना चाह रहे थे। खाना खाया और काफी देर इंतज़ार भी  किया लेकिन इससे मन में शक़ और यकीन पूरा हो गया की शिमला के आगे नहीं जा पाएंगे। खैर 10 बजे करनाल से चले और चंडीगढ़ से रमन भी साथ हो लिया।रमन एक बहुत ही अच्छा और सादगी भरे व्यव्हार वाला इंसान है , अब दो से तीन भले। लगभग 3 बजे हम शिमला पहुँच गए और पुरे रस्ते बारिश होती रही। हम बिना रुके कुफरी नारकण्डा की तरफ चल दिए।
जैसे ही 10 किलोमीटर चले होंगे और रोड बर्फ से ढक चुकी थी और थोड़ी दूर चलते ही 5 -6 गाड़ियां रोड पर खड़ी थी और उन्होंने हमें भी रुकने का इशारा किया, सभी ने कहा की आगे जाओगे तो फस जाओगे क्योकि एक मोड़  के बाद ही सड़क पर 1 फुट बर्फ है और रात में कोई मदद नहीं कर पायेगा। ये लो कर लो बात जिस बात का डर था वही हुआ मौसम ने साथ नहीं दिया  , मेने भी जैसे तैसे गाड़ी घुमाई (क्योकि बर्फ पर दिक्कत तो अति है गाड़ी घुमाने में ) और शिमला की तरफ मोड़ कर खड़ी कर दी और सोचने लगा की अब क्या किया जाये , प्लान बी ,  प्लान सी , या प्लान डी।  तक़रीबन 45 मिनट इंतज़ार करने के बाद और भगवान से प्रार्थना कर सोचा की इतनी दूर आये है तो एक कोशिश तो बनती है क्योकि जिस हिसाब से बर्फ़बारी हो रही है सुबह तक तो यहाँ रुकना बेवकूफी है इससे अच्छा है की आगे ही बढ़ा जाये। हर हर महादेव बोल गाड़ी घुमाई और 4 बजे चल दिए कुफरी की तरफ
कुफरी से पहले का फोटो 
सही में ऐसा लग रहा था जैसे हॉलीवुड की पिक्चर में दिखाते है की बर्फ के तूफान के बीच में से  हीरो जाता है और मंज़िल को पा लेता है। कुछ भी हो सफर का आधा मज़ा तो इसी अनुभव में आ गया। खैर उस 60 किलोमीटर के सफर में ना जाने कितनी बार गाड़ी लहराई पर मेने भी नारकण्डा तक रोका नहीं और 6 बजे नारकण्डा  के गेट पर जाकर कार रोकी। तक़रीबन एक घंटा सोने का फैसला किया जिससे दिमाग की थकान उतर जाये। उठने के बाद अपना देसी स्नोबोर्ड निकाला और कार के पीछे रस्सी बांधी और मजे लिए स्नो बोर्डिंग के ,अगली बार कही से खरीद लूंगा।
ज़िन्दगी जियो मज़े लो 
26 जनवरी  की शुरुवात इससे ज्यादा रोमांचकारी कभी नहीं थी। हाथ में अपने देश का झंडा हो, बारिश ,सुहाना मौसम और पहाड़।  दिल को जो ख़ुशी मिलती है वो शब्द कभी बयां नहीं कर सकते। हर तरफ बादल पहाड़ो से बैठ कर बात चीत करते हुए दिख रहे थे। गाड़ी रोक कर टायर के आस पास से बर्फ हटाई क्योकि बर्फ हर जगह चिपक गयी थी और वो टायर पर ग्रशण कर रही थी। अब हमे पता था की हम टापरी तक चले जायेंगे और वही पर पप्पू के ढाबे पर खाना खाएंगे और आगे का प्लान वही मनेगा क्योकि वहा गेस्ट हाउस  भी है। पोस्ट ऑफिस के सामने ढाबे पर खाना खाया और टैक्सी वालो से पता किया क्योकि कोई भी बस वहाँ नहीं थी।
गेटवे ऑफ़ किन्नौर 
बुरी खबर मिली की आगे स्पिति का रास्ता बंद है और रिकोंग पीओ के कट से 2 किलोमीटर पहले से रास्ता बंद है। खैर हमने एक प्रयास करने का सोचा क्या पता कामयाब हो जाये और स्नो चैन कब काम आएंगी। चलते ही कुछ दुरी पर हमारी और गाड़ी की जो हालत हुई शब्द नहीं , बर्फ से पूरी तरह घाटी ढकी हुई थी और काफी भयंकर रोड हो गयी , मिट्टी , बर्फ और पानी। गाड़ी की तो हिम्मत जवाब दे जाती थी, रास्ते में एक इंच जगह नहीं जहा हम नीचे उत्तर सके और चैन लगा ले टायर पर। किसी तरह 4 बजे हम रिकोंग पीओ पहुँचे और ये घाटी कभी इतनी ज्यादा खूबसूरत नहीं देखि।
बर्फ से ढका किन्नौर जिला 
बर्फ की जबरदस्त चादर हर तरफ। बस अड्डे सामने गोल  चक्कर के पास गाड़ी खड़ी की और होटल ढूंढना शुरू। स्नो व्यू होटल शुरुवात में ही है उसके रूम ठीक लगे , सो गाड़ी पार्किंग में खड़ी कर स्लीपिंग बैग और सामान वाला बैग लेकर होटल में रुके।
होटल नज़ारा 
मजेदार शाम गुजरी दोनों दोस्तों/भाइयो के साथ और जैसी उम्मीद थी वो ही हुआ , रात का खाना सही नहीं मिला और वैष्णो ढाबा मिला वो भी नाम का बस। वापस आ कर एक कोल्ड्रिंक पी और चिप्स खाये , मज़बूरी थी भाई। रात को सोने से पहले गाने सुनने के लिए इयरफोन लिए जिससे मुझे दोनों के खराटे परेशान न कर सके लेकिन सब बेकार क्योकि मेरे फ़ोन में सैमसंग टाइप वाले इयरफोन नहीं लगते और अपने फ़ोन के में लाया नहीं>>>>> भुगतो अब । आखिर सुबह होनी थी और बड़ी बेसबब्री से इंतज़ार किया और सोचा की कल सुबह बात करने के बाद ही कल के प्लान का फैसला लिए जायेगा क्योकि पुलिस वाले , टैक्सी और बस वाले ने भी माना कर दिया की काजा नहीं जा पाएंगे और २-3 दिन तो मौसम भयंकर ख़राब है । कल एक नयी सौगात लाने वाला था जिसकी खबर नहीं थी क्योकि घूमना हो तो ज्यादा मत सोचो बस निकल पड़ो , कुछ न कुछ अच्छा ही होगा सफर में ।  


होटल के कमरे से नज़ारा 

सावधानी और सुरक्षा सबसे पहले ...... जीवन है तो समय ही समय है

youtube channel link: Vikas Malik – YouTube

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ये पुल इतना सुन्दर पहले कभी नहीं देखा 

बर्फ हर तरफ 

फुरसत के पल। . नारकण्डा के बाद रामपुर से पहले 

क्या शानदार सफर रहा टापरी से रिकोंग तक 

छोटा भाई की तरह है पंकज --- 

9909 @ बस स्टैंड रिकोंग पीओ
सरकारी वाहनों के लिए पेट्रोल/डीजल पंप 


narkanda in early morning
नारकण्डा में सुबह 6 बजे का फोटो 







16 comments:

  1. jnha chah ,wnha raah!!
    nice post and tittle-tayari or kismat saath saath chalte h.Hats off to your gutts. pretty good enchancting photographs.
    shashi negi

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    1. Thanks a lot Negi Ji, Happy me , that u liked my pics and Blog

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  2. गज़ब है भाई साब ऐसे ही आता है ज़िन्दगी मे मज़ा

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    1. Bilkul Naved Bhai, Scripted life me kuch maza nahi

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  3. bahut badiya bhai ,,,,,,,aapke saath yahan jaroor jaana hai

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  4. बहुत बढ़िया भाई जी

    आपको देख कर मै भी गंगोत्री घूम आया 4 मार्च को

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    1. Anil bhaut khoob , ganga maa jab bulati hai to aisa hi hota hai kuch na kuch prarabdh manta hi hai ... bhaut bahut badhayiya yatra safalta purvak karne ke liye

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  5. Nature is not a place to visit...
    it is home...
    snow covered Kinnaur....VERY NICE PICS.

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  6. What a new innovation make snow chain
    Indian bear grylls salute
    And spectacular snow and mountain range photography
    Unbelievable

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  7. Thanks a lot Umesh Bhai,Thanks a lot to motivate me with such kind words.

    hope i will keep my standards intact to meet readers expectations.

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