लाहौल और स्पिति- मुसीबत में कैसे कटे 2 दिन और कैसे-कैसे समस्या हल की ( भाग-3 )
मुफ्त में घूमने वाले घुम्मकड़ नहीं होते , ऐसे बेकार इंसान को महत्व ना दे , सपने देखो ,मेहनत से पैसे कमाओ फिर घूमो
हम किसी तरह से किब्बर से 3 किलोमीटर, की मोनेस्ट्री तक वापसी करने में सफल हुए। बीच में चार बार हवा भरी। अब गाड़िया दिखने लगी थी इसिलए उनको हाथ देना शुरू किया और एक एक करके 3 टाटा सूमो गाड़ी के पाने लिए और तीनो के पाने मुड़ गए लेकिन एक भी नट नहीं खुला। ठंडी हवा ने जान लेनी शुरू कर दी थी। काफी लोकल आदमी हमारी मदद के लिए रुक गए थे और इतने में राकेश भी काज़ा से नट के साइज का गोटी पाना ले कर आ गया। बता नहीं सकता कितनी खुशी हुई राकेश और गोटी पाने को देख कर। एक टैक्सी ड्राइवर ने जैसे ही गोटी लगायी और काफी ताकत लगाने के बाद पहला नट खुला तो जितने भी इंसान खड़े थे सभी ने ख़ुशी में शोर मचाया , लेकिन अगला कोई भी नट नहीं खुला ,और गोटी भी फट गयी इतनी ताकत लगायी। आखरी उम्मीद भी ध्वस्त। अब एक बुजुर्ग बोले की तुम एक पाइप लाओ नीचे गाँव से फिर पाने की लम्बाई बढ़ जाएगी शायद जब नट खुल जाये, क्योकि जब स्टील की गोटी भी फैट गयी तो अब मुश्किल है की बिना मशीन के टायर खुल पायेगा । राकेश की हिमालयन मोटरसाइकिल पर बैठ 5 मिनट में ही पानी के पाइप का टुकड़ा ले आये। लेकिन सब बेकार।
ये खतरनाक जगह ज़िन्दगी भर याद रहेगी
यात्रा पर जाये तो मर्यादा का ध्यान रखे , माँसाहार ,शराब और कोई गलत काम ना करे जिससे वहा की पवित्रता ख़राब हो। नहीं तो प्रकर्ति अपना हिसाब लेना जानती है। मेने पंक्चर की सभी बत्तिया टायर में घुसा दी , जिससे कुछ और देर तक हवा रुके औरहम कम से कम वापिस काज़ा तक तो पहुंचे।भगवान् ने सुनी और हम जैसे तैसे अँधेरा होते होते काज़ा में पंक्चर वाले की दुकान में पहुंच गए। हवा इतनी तेज़ थी की शरीर में आर पार निकल रही थी। पंक्चर वाले ने गोटी पाना लगाया और एक एक करके 2 नट और खोल दिए, 5 में से अब तीन नट खुल गए । इतने में राकेश बोला की कोई जाकर रात को रुकने का होटल देख आओ क्योकि रात में नहीं मिलेगा कोई भी । किसी की हिम्मत नहीं हुई ठण्ड में बाइक पर जाने की तो मेने कहा में जाता हु और ढूंढ़ता हु। मेरे को अकेला जाते देख राकेश बोला भाई में भी चलता हु। में भी बेफिक्र होकर चल दिया क्योकि नकुल वहा पर था और उसके पास भी XUV500 गाड़ी ही है तो हर पहलू समान ही है। पर मुझे क्या पता था की मुसीबत मुझे षडियंत्र के तहत दूर भेज रही थी। मेने मोटरसाइकिल को सीधा एकमात्र पेट्रोल पम्प पर ले लिया , क्योकि इनके पास पुरे शहर की जानकारी होती है। काका ने बताया की बस सरकारी सर्किट गेस्ट हाउस में जाओ सब व्यवस्था हो जाएगी। हम दोनों वहा गए और कुछ देर इंतज़ार के बाद वहा के रखवाले आये तो हमने उन्हें सब कुछ बताया और उन्होंने 3 कमरे हमे रुकने के लिए दे दिए। मेने नकुल से बात की तो नकुल ने मुझे वापस आने को मना कर दिया, क्योकि दोस्त है जिगरी , बोला "में तो बैठा हु तुम आओगे तो तुम भी ठण्ड में बैठोगे ,बस एक नट नहीं खुल रहा उसी का जुगाड़ कर रहे है "। रात के 9 बज गए और अब चिंता होनी शुरू हो गयी थी , 2-3 बार फ़ोन पर बात भी हुई लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा था की करवा क्या रहा है बस ये समझ आया की नट कटवा रहा है , कैसे ये नहीं समझ आया।
की मोनेस्टरी जाते वक़्त शानदार नज़ारा
अनिल और धीरेन्द्र भी 8 बजे बुलेट से होटल में आ गए थे तो मेरे को और चिंता होने लगी थी क्योकि मुसीबत में जितने इंसान एक साथ हो उतना हौसला बना रहता है। इसीलिए मुसीबत में अपनों को छोड़ कर आराम के लिए न जाये, चाहे आपका काम हो या न हो , क्योकि साथ निभाना उसी को कहते है।
काज़ा सर्किट हाउस से दोनों भाई की विदाई करते हुए
रात को भयंकर ठण्ड में 9:30 बजे नकुल,करण और जतिन गाड़ी को लेकर आये तो ऐसा लगा की काम सही हो गया। लेकिन जैसे ही में गाड़ी के पास गया और रिम देखा मेरे होश उड़ गए , ठण्ड लगनी बंद हो गयी और दिमाग को यकीन नहीं हो रहा था की ऐसा भी भयंकर काम हो सकता है। नट काटने की जगह नट को छील दिया था उस पंक्चर वाले ने और नट के आखिर में दो चूड़ी होती है जो रिम और चक्के के बीच में जाकर फस्ती है जिससे रिम टाइट हो जाता है और वो आखरी दो चूड़ी नट की कट ही नहीं सकती थी तो आखरी में पंक्चर वाले को जब कुछ समझ नहीं आया तो इनको वापस भेज दिया । ये तो ऐसा काम हो गया की शोरूम पर भी सही न हो। अब तो संभावना ही नहीं रही रिम खुलने की, क्योकि जब नट ही नहीं रहा तो पाना इसको खोलेगा कैसे । खैर एक मिस्त्री से राकेश की बात हुई थी और उसी ने उसको गोटी पाना दिलवाया था उसने कहा की आपकी किस्मत तेज़ है मेरा मैकेनिक अभी मनाली से वापस आ गया है सीजन की तैयारी करने के लिए इसीलिए सुबह जल्दी गाड़ी ले आना देखते है क्या हो सकता है।
दाय वाला नट छेनी से छील दिया बेवकूफ ने , न जाने क्या सोच कर
रात भर नींद नहीं आयी क्योकि मुझे पता था की हम अब कितनी भयंकर मुसीबत में फस गए है। जब नट ही नहीं रहा तो खुलेगा कैसे। खैर, सुबह 8 बजे राकेश और धीरेन्द्र को काज़ा से शिमला के लिए रवाना किया और में गाड़ी लेकर पंक्चर वाले के पास गया। उससे पूछा की किया क्या सोच कर ये काम किया , उसने तो भलाई सोची इसलिए अपने गुस्से और जबान पर काबू किया। उसने छेनी से नट को छील दिया और एलाय रिम पर भी हर तरफ निशान हो गए जिसके कारण। मिस्त्री 9:30 बजेआये और उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया , की ये किया कैसे और क्या सोच कर। मेरी हसीं और गुस्सा मिल चुके थे , सही में जो होता है कभी कभी सही ही होता है , तजुर्बा इससे ही मिलता है। किस्मत अच्छी है की पास में ही एक गाड़ी धोने की जगह है जिपर हमने गाड़ी लगायी क्योकि सीजन होता तो यहाँ पर खूब भीड़ होती है और जगह मिलने का सवाल ही नहीं होता। और फिर गाड़ी के नीचे से देखा की किया क्या जा सकता है। लगभग 4 घंटे और 3 बार अलग अलग तरीके के औज़ार मँगा कर हमने नीचे का पूरा हिस्सा ही खोल डाला। टायर के साथ ब्रेक असेंबली , चक्का , चिमटा सब साथ ही निकाल दिया। अब बारी थी इसके टायर को बदलने की। एलाय रिम में से टायर आराम से नहीं निकलता , फिर लगे 10 किलो का हतोड़ा बजाने जैसे ट्रक के टायर पर मारते है। लगभग 30 मिनट बाद चक्का अलग हो गया रिम से तो मैकेनिक को बोला की इसको फिट कर गाड़ी में जाकर, समय बचेगा में टायर बदलवाकर लाता हु। बहुत मेहनत के बाद टायर बदला और फिर लगभग 3 बजे ख़ुशी हुई की अब में वापस निकल सकता हु शिमला के लिए बस अगला टायर साथ न छोड़े, क्योकि उसमे भी कट गहरा था। एक ट्यूब डलवाई स्टेपनी टायर में और फिर सभी को उनकी इच्छा अनुसार रुपये दिए और जो गोटी फट गयी थी उसके भी दुगने रुपये दिए जिससे उन्हें बुरा न लगे और मैकेनिक भाई को देने के लिए बोला । बारी बारी से सभी का धन्यवाद कर वापस होटल में आया।मेरे चेरा पर थकान देख सभी महसूस की कैसे कैसे काम करवाया है। अभी आकर खड़ा ही हुआ था की इतने में एक इंसान गुस्से में आकर पूछता है की ये गाड़ी आपकी है , मेने कहा है , वो बोला की" आपके साथ वो बाइक वाला मेरे से गोटी पाना ले गया था उसने बोला था की शाम को लोटा देगा , अभी तक नहीं लौटाने आया इसीलिए में आया हु अपना काम छोड़ कर, मुझे मेरा सामान दो " गुस्से से तम तमा रहा था।
शानदार सफ़ेद स्पीति .. जयादा खतरनाक
यार सुबह से एक घुट पानी भी नसीब नहीं हुआ और भूख के मारे हाल बेहाल , उस पर से तुरंत ये एक और मुसीबत। संयम रखते हुए उसको बोला की भाई आपके औज़ार मैकेनिक को देकरआया हु और आपकी गोटी फट गयी उसकी कीमत भी दो गुणी दी है उनको। वो भाई ये सुनते ही तो और भड़क गया और बोलै "मुझे तो मेरे औज़ार जैसे दिए थे वैसे ही चाहिए " अब ये नया स्यापा कहा से आ गया। किसी तरह मैकेनिक के पास ले गया और वो तो टस से मस ना हो। बार बार एक ही बात कहे मुझे तो मेरी गोटी सही चाहिए। सौ बात समझाई लेकिन भाई नहीं माना मेरी विनति का कोई असर न देख 30 मिनट बाद मैकेनिक भाई ने अपने सेट में से उसको नयी गोटी दी तब उससे पीछा छूटा। ये मैकेनिक भाई की दुकान बिलकुल रोड पर है और जहा से मार्केट/बस स्टैंड के लिए उलटे हाथ से नीचे रास्ता जाता है वही पर कोने में इनकी दुकान है। दिमाग इस कदर थकान और परेशानी में था की फोटो या वीडियो बनाने का इतना दिमाग में नहीं आया।
नज़ारे अच्छे हो तो मुसीबत दिमाग को परेशान नहीं करती
बस यहाँ से वापस होटल में आये और सामान रख चल दिए। रास्ते में बहुत देर बाद अच्छी रोड अति है तो पूरी तेज़ी से कार चलायी जिसके कारण वो रास्ता छूट गया जहा से मलिंग नाले की चढाई शुरू होती है और आगे चलते रहे पुराने रास्ते पर। लगभग 1 किलोमीटर बाद भयंकर टुटा हुआ रास्ता शुरू हुआ जिस पर हम 4 किलोमीटर और आगे गए , गाड़ी का टायर 1-2 इंच ही बचता था खाई में जाने तक इतना संकरा रास्ता था , आगे रास्ता पत्थर गिरने की वजह से बंद था और पुरे रस्ते पर चट्टान के पत्थर ही थे। यहाँ से वापसी गाड़ी जैसे तैसे मोड़ी, वापस आये नहीं तो न जाने कौन सी भयंकर मुसीबत में फसते। अँधेरा हो गया था जब नाको पहुँचे। वापस से वो ही कमरे लिए और फिर रात को तारो की रौशनी ने सब थकान और मुसीबत के दौर को भुला दिया। ऐसा सुन्दर नज़ारा स्पीति में ही देखने को मिलता है। घने तारे तो बहुत बार देखता हु साल में हिमालय पर , लेकिन यहाँ की बात ही और है।
जबरदस्त तारा श्रंखला
सुबह सही 6 बजे पांचो भाई चल दिए दिल्ली की और और सही 18 घंटे में मेरठ घर आ गए थे यानि 10 बजे , या उससे भी पहले। दिल्ली से नाको एक दिन में 20 घंटे में ही पहुँच गए थे , सो इस हिसाब से वापसी भी ठीक थी। ये सफर मुसीबत के में काफी सीखा गया , 2 नए टायर और शोरूम में गाड़ी सही कराने का खर्च 48,000 आया, मतलब एक यात्रा का खर्च ज्यादा लग गया। शोरूम पर सही करता हु गाड़ी क्योकि सकून रहता है की काम और माल सही होता है, जिससे गाड़ी कही अचानक धोका नहीं देगी।
उम्मीद है आप सभी को यात्रा वृतांत अचछा लगा होगा।
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सावधानी और सुरक्षा सबसे पहले ...... जीवन है तो समय ही समय है
आपकी यात्रा शानदार और रोमांचक रही।अब से पंचर पर गाड़ी मत चलाना कभी भी।आपने पंचर पर गाड़ी चलाई जैसा कि पिछली पोस्ट मे पढ लिया है उसी से रिम मे नट फंस गये।खैर हर बार कुछ नया सीखना तो बनता है😀😀😀
Anil, Puncture me kab gaddi chalayi, driving since i was studying in 8th standard dear. Mentioned in previous blog Puncture repair kiya aur burst tyre me sari strips dal di, jab tyre nahi khula jab hawa bhari aur wapsi chale , jaise hi 20 pound ke aas pas hawa reh jati thi jab wapas pump se hawa bhar lete the. FLAT TYRE TO LIFE ME KABHI NAHI CHALAYA. 100 METER me hi flat tyre kharab ho jata hai pahad me to.
Anil jab saath chalte hai to parivar hi hota hai. So, i think we all are of same nature that's why only we did this trip successfully despite so much of ADVENTURE.. hahaha
Ji, Nut loose karne ke liye Sprayata hai. wo bhi spray kiya tha, lekin kjab subah ko nut tha hi nahi tab ulti taraf spray kiya ki shayad thoda dheela pad jaye aur chot se nikal jaye , lekin sab bekar raha.
Kafi Adventure ho gaya is baar spiti trip par .. January me bhi kafi romanchak yatra hui thi spiti ki , lekin is baar photos kafi acchi ayi raat ki... september me jayad visible hoti hai Akash Ganaga ... dekhta hu agar mauka lagta hai to dobara try karunga.
सनी भाई, ये यात्रा तो आपकी लाइफटाइम अचीवमेंट हो गयी. गाड़ी तो नयी है, पर नट क्यों नहीं खुल रही थी? इतना जाम आखिर कैसे हो गया? खैर, फिर भी आप सभी ने काफी साहसपूर्वक इस मुसीबत से छुटकारा पाया!
बहुत साहसिक व धैर्य से परिपूर्ण यात्रा बहुत ही सुंदर नज़ारे प्रकृति की सुंदरता का अभूतपूर्व अबिश्वशनिय व अकल्पनीय मिश्रण ख़तरनाक रास्तो और रोमांच से भरा सफ़र व आपकी मेहनत और हिम्मत व ग़ुस्से में अपने आप को सम्भालना ऐसी स्थिति में और इतना साधारण व्यवहार को बारम्बार नमन बहुत अच्छे सन्नी भाई जय हो आपकी ईश्वर आपके साथ दो चार यादगार यात्रा और कराए मेरी ऐसी प्रार्थना है 🙏🙏
पोस्ट और फ़ोटो दोनो शानदार 👌
ReplyDeleteDhanyavad naresh Bhai... umeed hai vyakhya ka strr aur behtr hoga
Deleteबहोत शानदार।
ReplyDeleteDhanyavad Bhai
DeleteAnt Bhala so sab Bhala...very well explained..most beautiful picture of galaxy (pic no. 3) ever seen..
ReplyDeleteThank you sachin, indeed galaxy pic is very nice but probably in aug-sep galaxy is much clear ,, so hopefully get a chance to click again .
DeleteBeautiful views and wonderful description.Experience and patience along with God's blessings help to counter any problems one may encounter in life.
ReplyDeleteJi Gunjan Ji, the only thing which saves me every time is almighty ... Patience is indeed a blessing in such situations.
Deleteयात्रा पोस्ट शानदार मुसीबत भरी और मेहनती
ReplyDeleteJi haa, aise mahabharat se sahi salamat bahar nikal ana bhi upar wale ki kripa ko darshata hai.
Deleteआपकी यात्रा शानदार और रोमांचक रही।अब से पंचर पर गाड़ी मत चलाना कभी भी।आपने पंचर पर गाड़ी चलाई जैसा कि पिछली पोस्ट मे पढ लिया है उसी से रिम मे नट फंस गये।खैर हर बार कुछ नया सीखना तो बनता है😀😀😀
ReplyDeleteAnil, Puncture me kab gaddi chalayi, driving since i was studying in 8th standard dear. Mentioned in previous blog Puncture repair kiya aur burst tyre me sari strips dal di, jab tyre nahi khula jab hawa bhari aur wapsi chale , jaise hi 20 pound ke aas pas hawa reh jati thi jab wapas pump se hawa bhar lete the. FLAT TYRE TO LIFE ME KABHI NAHI CHALAYA. 100 METER me hi flat tyre kharab ho jata hai pahad me to.
DeleteOne of the best trip of my life, you guys are so caring. I never felt that I am traveling very first time with you. Sunny the Hero 👌👌👍👍
ReplyDeleteAnil jab saath chalte hai to parivar hi hota hai. So, i think we all are of same nature that's why only we did this trip successfully despite so much of ADVENTURE.. hahaha
DeleteWaah shandar bhai ji👍👌
ReplyDeleteDhanyavad Doctor Bhai.
Deleteरोमांचक यात्रा सनी भाई , आपके धैर्ये की परीक्षा ली इस यात्रा ने
ReplyDeletephotogarphy भी मस्त रही , आकाश गंगा का फोटो सबसे ज्यादा पसंद आया ..ा
Showroom ऐसा कोई liqivid नहीं मिलता जिससे आसानी हो नट खोलने में ...
Ji, Nut loose karne ke liye Sprayata hai. wo bhi spray kiya tha, lekin kjab subah ko nut tha hi nahi tab ulti taraf spray kiya ki shayad thoda dheela pad jaye aur chot se nikal jaye , lekin sab bekar raha.
DeleteKafi Adventure ho gaya is baar spiti trip par .. January me bhi kafi romanchak yatra hui thi spiti ki , lekin is baar photos kafi acchi ayi raat ki... september me jayad visible hoti hai Akash Ganaga ... dekhta hu agar mauka lagta hai to dobara try karunga.
बोहत ही गजब की यात्रा सन्निभाई,
ReplyDeleteआकाशगंगा का फोटो लाजवाब है
गजब की यात्रा सन्निभाई
ReplyDeleteफोटो ग्राफी भी लाजवाब है
सनी भाई, ये यात्रा तो आपकी लाइफटाइम अचीवमेंट हो गयी. गाड़ी तो नयी है, पर नट क्यों नहीं खुल रही थी? इतना जाम आखिर कैसे हो गया? खैर, फिर भी आप सभी ने काफी साहसपूर्वक इस मुसीबत से छुटकारा पाया!
ReplyDeleteबहुत साहसिक व धैर्य से परिपूर्ण यात्रा बहुत ही सुंदर नज़ारे प्रकृति की सुंदरता का अभूतपूर्व अबिश्वशनिय व अकल्पनीय मिश्रण ख़तरनाक रास्तो और रोमांच से भरा सफ़र व आपकी मेहनत और हिम्मत व ग़ुस्से में अपने आप को सम्भालना ऐसी स्थिति में और इतना साधारण व्यवहार को बारम्बार नमन बहुत अच्छे सन्नी भाई जय हो आपकी ईश्वर आपके साथ दो चार यादगार यात्रा और कराए मेरी ऐसी प्रार्थना है 🙏🙏
ReplyDeletebahut kuch alag tha is ytara me....par hausle buland ho to sab ho sakta hai....
ReplyDeleteहोसलों की उड़ान.............हर यात्रा कुछ नया सिखाती है, यात्रा करने वाले को ओर थोडा बहुत पड़ने वाले को भी. सनी भाई आपको साहसिक यात्रा के लिए बधाई
ReplyDeleteइस यात्रा पर तो काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा आपको मगर कोई बात नहीं हर चीज का अपना अलग मजा होता है इस बार भी कुछ ना कुछ सीखने को मिला होगा इससे
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteNobody can beat you Darling... You are the best... Amazing...
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