आप प्रकर्ति का दिल से सम्मान और रक्षा करोगे , प्रकर्ति आप को कभी मुसीबत में नहीं आने देगी
सावधानी और सुरक्षा सबसे पहले ...... जीवन है तो समय ही समय है
इस वर्ष जनवरी के बाद दूसरी बार सफेद स्पीति देखने का मन हुआ। जनवरी में हम 3 भाई रिकांग पिओ तक गए थे क्योकि बर्फ़बारी की वजह से रास्ते बंद थे। स्पीति जाने में जो मजा है वो लेह लदाख जाने में नहीं रहा क्योकि सड़के बहुत ही आराम दायक हो गयी है। लाहौल स्पीति एक बहुत ही शानदार जगह है जो शिमला से 350 किलोमीटर के आस पास है। और आज भी यहाँ जाना रोंगटे खड़े कर देता है। सर्दियों में स्पीति -शिमला होते हुए रामपुर -टापरी -करछम -नाको -काज़ा तक जाया जा सकता है क्योकि काज़ा के आगे कुन्जुम पास आता है जो जून महीने में खुलता है और अगर गर्मियों में रास्ता खुला हो तो कुन्जुम से चंद्रताल -छत्ररु होते हुए ग्रम्फू ( रोहतांग से 18 किलोमीटर ) पर मनाली -लेह लदाख रोड पर मिल जाता है। इस तरीके से आप अपना एक शानदार सफर पूरा कर सकते है।
यात्रा पर जाये तो मर्यादा का ध्यान रखे , माँसाहार ,शराब और कोई गलत काम ना करे जिससे वहा की पवित्रता ख़राब हो। नहीं तो प्रकर्ति अपना हिसाब लेना जानती है।
मेरी नज़र में केवल स्पीति ही दुर्गम बची है ( किसी हाई पास की रोड को छोड़ दे तो ), क्योकि भयंकर पथरीला रास्ता और ऊपर से पहाड़ के पत्थर के टुकड़े हर वक़्त गिरते रहते है और दो बून्द बारिश हुई नहीं की पहाड़ ही सरक जाता है सड़क पर। यहाँ पर बहुत सारे आर्मी वाले कई सो किलोमीटर में जहा भी पहाड़ से खतरा होता वहा पर ड्यूटी देते हुए मिल जायेंगे , क्योकि ये वो पहला जनसेवक है , जो अपने से पहले देश और देशवासी के लिए जीते है। मेरा सत सत नमन हर एक आर्मी वाले को और हर उस इंसान को जो अपने से पहले दूसरे की भलाई के बारे में सोचता है।
हमेशा की तरह रात 12 बजे चलने का प्रोग्राम तय था। पिछली रात एक घंटा भी नहीं सोया था क्योकि यूट्यूब पर लेह लदाख की वीडियो डाली थी जिसकी वजह से सुबह के 5 बज गए और फिर कभी माली , सिक्योरिटी गार्ड कभी नौकर कभी कोई और सभी अपनी अपनी गतिविधि में लग गए घर में। आवाज़ में नींद वैसे ही नहीं आती , सो 38 घंटे हो लगातार जागते हुए और अब पूरी रात और दिन फिर से गाडी चलनी , वैसे मेरे लिए कोई नयी बात नहीं 2-3 लगातार जागना। खैर गुडगाँव से नकुल अपने साथ जतिन ( 2015 में चंद्रताल से चंडीगढ़ तक लिफ्ट दी थी जब से छोटे भाई की तरह है क्योकि पढाई कर रहा है और पढ़ने वाले की जेब का हाल सब को पता होता है - इसको भी कैमरा और नए नए उपकरणों का बहुत शौक है ),करण ( नकुल के साथ कनवर्जिस में ही नौकरी करता है - बहुत शांत और सीधा इंसान -जो आज के समय में कोई अभद्र शब्द ना बोलता हो समझ लीजिए की किस युग का इंसान होगा वो ), अनिल बांगड़( ये राजस्थान और मेरे साथ व्हाट्स एप्प और फेसबुक पर काफी दिन से दोस्त है -शानदार दिलदार व्यक्ति , हिमालय से लगाव रखने वाला इंसान )
घर से रात 12 बजे यात्रा शुरू की और कुछ देर में शामली पहुँच गए और यहाँ हर तरफ जाम। जैसे तैसे इधर उधर करके निकले और करनाल तक बहुत बुरा हाल। अपने जीवन में 40 किलोमीटर लम्बा जाम पहली बार देखा और कारण एक चौक ,ऊपर से जाम में ट्रक ड्राइवर ट्रक बंद करके सो गए, आगे कुछ जाम नहीं पीछे लोग सोचते रहते की जाम खुलेगा। कमाल है आगे वाला जागेगा तभी तो चलेगा ,पीछे वाले अपनी गाडी में बैठ कर इंतज़ार करते रहते। इसिलए जाम में गाड़ी के बाहर आकर जाम खुलवाने की कोशिश करो ना की इंतज़ार।
करनाल से सही 5:30 घंटे में शिमला पहुंचे और यहाँ सही आलू के बड़े बड़े पराठे खाये साथ ही स्वादिस्ट कॉफी। 8:30 बजे शिमला पार कर लिया और यहाँ भी जाम से दो दो हाथ करने पड़े। दिल में ख़ुशी थी की इस बार काज़ा तक जाऊँगा ही। राकेश और धीरेन्द्र ( हम तीनो ने ही साच पास दिसम्बर में बाइक से करने का कारनामा किया था ) बाइक से एक रात पहले ही काज़ा के लिए निकल लिए। हम दोपहर में 1:30 बजे टापरी पहुँच गए और पप्पू भाई के ढाबे पर फिर से गजब स्वादिस्ट खाना खाया। इस बार पप्पू भाई खाने के रुपये लेने भूल गए और मै 4 किलोमीटर वापस आया और उनको रुपये दिए।
अभी रास्ता बहुत ही दुर्गम है , ऊपर से यहाँ की सबसे बड़ी समस्या यहाँ रास्ते के साथ साथ जो पहाड़ से पत्थर गिरते है वो है। भयंकर नोकीले पत्थर नीचे रास्ते पर और ऊपर से पता नहीं कब कितना भयंकर पत्थर आप पर गिर जाये , इसीलिए यहाँ चलते वक़्त लम्बी नज़र रास्ते पर सामने रखे और एक आँख पहाड़ पर रखे और साथ वाले को भी चौकन्ना रहने को कहे। शानदार रास्ते पर डर का भी अलग ही मजा है। पूह गॉव पार किया और फिर ये निर्णय लिया की आज शाम नाको रुकेंगे। राकेश से बात हुई तो पता लगा की वो रास्ते में फस गया था ( क्योकि यहाँ टाइमिंग होती है बम से धमाका कर रास्ता चौड़ा करने की , सो आप सब धयान रखे इस चीज़ का ) और वो भी नको ही रुका हुआ था। शाम 6:30 बजे खाब की चढ़ाई शुरू की और आराम से मजे करते हुए 8 बजे नाको पहुँच गए। रोड का काम यहाँ हमेशा चलता रहता है इसीलिए काफी जगह शानदार काली रोड मिलेगी।
नाको में राकेश और धीरेन्द्र टॉर्च लिए हमारा इंतज़ार कर रहे थे। रोड पर ही होटल है जिसमे 2 कमरे है ,सो दोनों हमने ले लिए और खाना खाया बहुत ही सस्ता रहना खाना ,400 रूपया किराया और खाना भी सस्ता और स्वादिस्ट।
सब शारीरिक रूप से थके हुए थे , कोई मेरे साथ नीचे नहीं आया। लेकिन मेरा मन था सितारों का फोटो लेने का जो मेरे को बहुत ख़ुशी देता है। हवा तेज़ थी और -12 डिग्री तापमान -30 लग रहा। 20 मिनट में कम्पन शुरू हो गयी लेकिन इतने में मेने कुछ शानदार फोटो ले लिए और फिर वापस कमरे में जाकर गरम पानी पिया और कल की मुसीबत और रोमाँच से बेखबर होकर सो गया।
अगले भाग में : जब आप किसी भी शहर से 400 किलोमीटर / 2 दिन दूर हो और हिंदुस्तान के आखरी गॉव में आपकी गाड़ी के दो टायर फट जाये और नट ना खुले जिससे टायर भी ना बदल सके ,जब भगवान कैसे आपको हौसले ,हिम्मत और मदद भेजता है।
उम्मीद है आप सभी को यात्रा वृतांत अचछा लगा होगा।
यात्रा पर जाये तो मर्यादा का ध्यान रखे , माँसाहार ,शराब और कोई गलत काम ना करे जिससे वहा की पवित्रता ख़राब हो। नहीं तो प्रकर्ति अपना हिसाब लेना जानती है।
मेरी नज़र में केवल स्पीति ही दुर्गम बची है ( किसी हाई पास की रोड को छोड़ दे तो ), क्योकि भयंकर पथरीला रास्ता और ऊपर से पहाड़ के पत्थर के टुकड़े हर वक़्त गिरते रहते है और दो बून्द बारिश हुई नहीं की पहाड़ ही सरक जाता है सड़क पर। यहाँ पर बहुत सारे आर्मी वाले कई सो किलोमीटर में जहा भी पहाड़ से खतरा होता वहा पर ड्यूटी देते हुए मिल जायेंगे , क्योकि ये वो पहला जनसेवक है , जो अपने से पहले देश और देशवासी के लिए जीते है। मेरा सत सत नमन हर एक आर्मी वाले को और हर उस इंसान को जो अपने से पहले दूसरे की भलाई के बारे में सोचता है।
घर पर-करण ,नकुल,में ,जतिन,और सबसे दाये अनिल |
घर से रात 12 बजे यात्रा शुरू की और कुछ देर में शामली पहुँच गए और यहाँ हर तरफ जाम। जैसे तैसे इधर उधर करके निकले और करनाल तक बहुत बुरा हाल। अपने जीवन में 40 किलोमीटर लम्बा जाम पहली बार देखा और कारण एक चौक ,ऊपर से जाम में ट्रक ड्राइवर ट्रक बंद करके सो गए, आगे कुछ जाम नहीं पीछे लोग सोचते रहते की जाम खुलेगा। कमाल है आगे वाला जागेगा तभी तो चलेगा ,पीछे वाले अपनी गाडी में बैठ कर इंतज़ार करते रहते। इसिलए जाम में गाड़ी के बाहर आकर जाम खुलवाने की कोशिश करो ना की इंतज़ार।
करनाल से सही 5:30 घंटे में शिमला पहुंचे और यहाँ सही आलू के बड़े बड़े पराठे खाये साथ ही स्वादिस्ट कॉफी। 8:30 बजे शिमला पार कर लिया और यहाँ भी जाम से दो दो हाथ करने पड़े। दिल में ख़ुशी थी की इस बार काज़ा तक जाऊँगा ही। राकेश और धीरेन्द्र ( हम तीनो ने ही साच पास दिसम्बर में बाइक से करने का कारनामा किया था ) बाइक से एक रात पहले ही काज़ा के लिए निकल लिए। हम दोपहर में 1:30 बजे टापरी पहुँच गए और पप्पू भाई के ढाबे पर फिर से गजब स्वादिस्ट खाना खाया। इस बार पप्पू भाई खाने के रुपये लेने भूल गए और मै 4 किलोमीटर वापस आया और उनको रुपये दिए।
gateway of Kinnaur |
दुर्गमता कम धीरे धीरे , क्योकि रोड अच्छी बना रहे धीरे धीरे |
सितारों भरा होटल। .. इससे शानदार जगह क्या होगी रहने के लिए |
अगले भाग में : जब आप किसी भी शहर से 400 किलोमीटर / 2 दिन दूर हो और हिंदुस्तान के आखरी गॉव में आपकी गाड़ी के दो टायर फट जाये और नट ना खुले जिससे टायर भी ना बदल सके ,जब भगवान कैसे आपको हौसले ,हिम्मत और मदद भेजता है।
उम्मीद है आप सभी को यात्रा वृतांत अचछा लगा होगा।
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दुर्गम रास्ता -- थोड़ा है अभी |
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नको हेलिपैड पर |
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शानदार नज़ारा होटल,रोड,हेलिपैड ,गाड़ी और मै |
बहुत बढ़िया और रोमांचक यात्रा, आप सभी भाईयों के साथ यात्रा बहुत आनंदमयी रही
ReplyDeleteअनिल भाई .... भाइयों के साथ घूमने में एक अलग ही मज़ा है
Deleteबढ़िया सन्नी भाई पर भूख मिटने के बजाय बढ़ गई ।
ReplyDeleteअगली पोस्ट के इंतज़ार में ��
वैसे ऐसा ही जाम हम विंध्यवासिनी से बनारस जाते हुए झेल चुके है जहाँ मैं और कोलकोता वाले किशन भाई और उनके साथी सब लगभग सारी रात जाम खुलवाने में लगे रहे थे ।
फोटो लेने के लिए आपने जो कीमत चुकाई उससे ज्यादा कीमती फोटो भी पा लिए । फौजी भाइयों के बारे में आपके और मेरे बिल्कुल एक जैसे विचार हैं "दिल से"
😊🙏🏻 धन्यवाद संजय भाई जी ... अगला पोस्ट बहुत जल्दी ही पब्लिश करूँगा ... वतन के रखवालों की वजह से हम सब है , सो हर सच्चे हिंदुस्तानी उनका सम्मान करेगा ही
Deleteबहुत अच्छा लिखा है चलो मुजफ्फरनगर से कोई बंदा ना सही मगर मुजफ्फरनगर नंबर की गाड़ी तो हिमालय की सैर कर रही है👍👍👍👍
ReplyDeleteजावेद भाई 6th class तक holy angel's में ही पढ़ा हु ... 😊
Deleteफोटू का साईज़ बड़ा देखकर ख़ुशी हुई सन्नी। शुरुआत बढ़िया है पर ये तो कमाल है कि ट्रक वाले सो गए और पीछे वाले जाम समझ फसे रहे ।आज एक और सुझाव है कि आप फोटू के ठीक नीचे ही लिखा करे ,अगल बगल नहीं ।पढने में परेशानी होती है या फिर सारा वृतांत लिखकर अंत में सारे फोटू पोस्ट करे ,यदि कोई परेशानी न हो तो ...बुआ।
ReplyDeleteधन्यवाद ललित जी
ReplyDeleteधन्यवाद दर्शन जी , आप के सुझाव से ही थोड़ा बदलाव किया, फ़ोटो के नीचे ही लिखता हु , preview नहीं किया इसलिए ग़लती हुई है ,फ़ोटो वरतंत के बीच में इसलिए लगता हु जिससे पड़ने वाले एक दम सटीक जगह के साथ अपने को सम्मिलित महसूस कर सके . आप से messenger पर और बेहतर कैसे करूँ उसकी जानकारी लेता ही
ReplyDeleteआनंदम परमानन्दम
ReplyDeleteDhanyavad Neeraj Bhai
Deleteबहुत बढिया भाई जी।
ReplyDeleteब्लॉग को थोड़ा ठीक करो पूरे पेज पर नही आ रहा।
Dhanyavad Anil.. Lekin page sahi open ho raha ..
Deleteबहुत बढ़िया पोस्ट फिर से स्पीति जी लिए...किस्मत से ही स्पीति जाने को मिलता है
ReplyDeleteYe baat to sahi kahi gandhi bhai, Luck to thoda chahiye yaha jane ke liye aur bina kisi musibat me phase bina wapas ane me.
DeleteNext Blog kal publish karta hu.
Bhai bech m shamli kaise aa gaya delhi se sedhe Chandigarh ke raste m video m dekha tha ki spiti m tyre vali ghtna per padhne ka maza alag hi hai bhai apki or sandeep bhai ki di gayi information ke accordingly hi kinner kailsh ke darshn karke aaye hai is bar bhai
ReplyDeleteThankyu bhai likhte raho aise hi
Apke vlog kafi ache hai intzar rehta hai latest video ka