Thursday, February 9, 2017

एक तूफानी सफर,पहला इंसान जिसने दिसम्बर महीने में सच पास पार किया,मोटरसाइकिल पर ( भाग -2 )

------जूनून के साथ में सही जानकारी और सही तैयारी का होना बहुत जरूरी है----


तैयारी और हिम्मत 
जब तैयारी अच्छी की हो तो भी जरुरी नहीं की अंजाम सकून भरा हो।  ऐसा ही कुछ अनुभव था आज की सच पास की यात्रा का। जीवन में कभी इतना नहीं डरा बहुत सारी यात्रा की है 2003 से अकेले , लेकिन इतनी विषम परिस्थिति पहली कभी नहीं आयी। मेने 7 बार भयंकर जंगलो में, अँधेरे में भी ट्रैकिंग की है जिसमे रात के 11 बजे तक 3-4 फुट बर्फ में चला हु जबकि लक्ष्य का पता तक न था , 3 दिन में दिल्ली से मणि-महेश कैलाश यात्रा पूरी कर के वापस दिल्ली आया हु वह भी कार से ड्राइविंग कर के अकेले और बहुत सारी यात्रा की है ऐसी चुनोतियो भरी लेकिन इस यात्रा का एक अलग ही डर बैठा दिमाग में जिससे रात में सोने के बाद भी खौफनाक सपने आये जिनमे में खाई में गिर कर मर गया। और ऐसा अनुभव मुझे ही नहीं मेरे साथी दोस्त धीरेन्द्र और राकेश को भी हुआ। 

आज का यात्रा वृतांत थोड़ा लंबा है क्योकि बताने का मजा तभी है जब अपने भाव भी बताये और पढ़ने वाला महसूस करे जैसे वो भी साथ ही था। 

सुबह 5:30 बजे नींद खुल गयी और तक़रीबन 15 मिनट बाद में अपना कैमरा लेकर में कमरे से बहार निकल आया और सूरज की किरणों से सामने वाले पहाड़ पर लालिमा खूब मन भा रही थी। शान्त जगह ,पहाड़ , चिडयों की चह-चाहट और ठंड और ऐसा नज़ारा हर दिन मिले ऐसा प्रकर्ति से लगाव रखने वाला हर इंसान सोचता है। कुछ फोटो लिए और वापस रूम में गया तो धीरेन्द्र भी जाग गया था और में तौलिया लेकर चला जिससे सुबह के सबसे जरूरी काम पूरे किये जाये और उस पर जब में बाथरूम में गया तो में ऐसा डरा जैसे लडकिया कॉकरोच , छिपकली या चूहे को देख कर डरती है , क्योकि वहा एक देसी जुगाड़ पानी गरम करने वाला बाथरूम में लटकाया हुआ था वह भी टंकी  के पास और उसके तार स्विच बोर्ड में लगे हुए थे, पहले डरते हुए उसे निकाला क्योकि चप्पल भी गीली थी और फिर नहाया। नाश्ता करने के लिए हम चामुंडा होटल में ही गए और सही 7:30  बजे हम सब ने पराठे खाये क्योकि उसके पास ज्यादा आलू भी नहीं थे, खैर जूस और पराठे से भूख को खत्म किया। सामान लिया ओर पैसा दिए और निकल पड़े सच पास की भयंकर जानलेवा चोटी की औऱ। 
बैरागढ़ से चलते वक़्त 
भगवान का नाम ले कर बाइक चालू की और पुलिस चौकी पर रुके तो नए चेहरे को देखा और बोला की हमारी एंट्री है रजिस्टर में तो उसने अचरज भरी निगाहों से देखा फिर चैक किया और बोला "बहुत ज्यादा सावधानी से जाना खास कर नीचे उतरते वक़्त" उसका यह कहना था और हमे भी एक दूसरे की तरफ देखना था। रोड तो गायब हो गयी थी चौकी पर से ही बस अब एक कच्चा रास्ता वो भी उबड़ खाबड़ और पत्थर से भरा सो पेट में जो था वो जैसे जूसर मिक्सर में सब मिल जाता है वो ही उसके साथ हो रहा था। अभी 5 km ही चले थे के इतने में रोड पर आइस जमी हुई मिलनी शुरू , झरने जमे हुए और हम भी उत्साह में बाइक रोक कर फोटो लेने लगे और यह भूल गए यह तो शुरुवात और आगे न जाने क्या स्तिथि है। 
तजुर्बा सबसे बड़ा अध्यापक होता है 
फिर शुरू हुआ उस तजुर्बे से जिसे बर्फ (ICE) कहते है। कार तो मेने काफी बार चलायी है बर्फ और हिमपात (SNOW) में लेकिन बाइक केवल एक बार वो भी ज्यादा नहीं क्योकि बाइक चल नहीं पायी और बाइक वही पर छोड़ कर आगे जाना पड़ा था। रास्ता ख़राब ऊपर से ,जैसे ही चले आगे मोड़ पर पूरी सड़क पर बर्फ की मोटी चादर, बाइक लेकर ऊपर चले भाई क्या फिसले, होश उड़ गए। एक तरफ गहरी खाई दूसरी तरफ फिसल कर गिर जाने से चोट का डर और वो भी इतनी ज्यादा ठण्ड में। दो लेयर जैकेट और वाटर प्रूफ दस्ताने में भी ठण्ड शरीर को चीर रही थी। खैर राकेश ने हतोड़ा निकाला और हो गया बर्फ तोड़ने शुरू , लेकिन बर्फ में जितनी जगह में चोट मारे उतनी जगह बस एक निशान सा मन जाये और कुछ नहीं फिर हम बड़े बड़े पत्थर लेकर शुरू हो गए तोड़ने की बाइक के टायर या हमारे पैर को कही तो ग्रशण मिले जिससे गिरे न खाई में। एक बाइक को तीन जने पकड़ते वो भी समतल जगह में और बैठने वाला अपने पुरे ध्यान और ताक़त  से बाइक को कण्ट्रोल करता और फिर भी एक ही आवाज़ निकलती थी सभी की रोको रोको रोको। सही बताऊ शायद चीटी भी तेज़ चल रही होगी हमसे और तब भी हमारी हालात भयंकर ख़राब थी। वो 30km न जाने कितने भयंकर बर्फ के टुकड़े आये और हम कुछ जगह हिम्मत कर विडियो बनायीं वो हम ही जानते है कैसे बनायीं।  
चादर ट्रेक (लेह) में भी ऐसा ही झरना है 
लेकिन बीच में इसके जगह बहुत ही विशाल और सुन्दर झरना आया और ये झरना मुझे मेरे चादर ट्रेक (लेह-लदाख) की यादे ताज़ा कर गया। खास बात ये थी की जहा भी बर्फ जमी होती थी रोड पर वो कम से कम 25 -100 मीटर  का टुकड़ा होता था इसीलिए बहुत ज्यादा डर और दिक्कत का सामना हुआ। आपको आगे बताऊंगा की बर्फ पर बाइक चलते वक़्त किस बात का ध्यान रखना चाहिए । 
अनगिनत जमे हुए शानदार झरनों में से एक 
एक बात सोचने की है की सीधे रास्ते पर जब बर्फ पर हम भी आराम से खड़ा तक नहीं हो सकते तो कोई बाइक को कैसे सम्हालेगा और वह भी चढ़ाई या ढलान पर।  एक बार बर्फ पार करते वक़्त मात्र 1 सेकंड के लिए मेरा ध्यान हटा था और इतने में ही बाइक फिसल गयी थी और यह पल विडियो में भी है। 

लगभग 12-15  ऐसे खतरनाक टुकड़े पार कर हम पहुँच गए सच पास और यहाँ पर आने के बाद जो खुशि मिली शब्द कम पड़ जाये। अंदर मंदिर में जयकारे लगाए और प्रार्थना की और आराम से जूस पिया हम चारो भाइयो ने। कुछ फोटो लिए और चलने का फैसला लिया क्योकि समय हो गया था 2 pm . क्या, 35 किलोमीटर हमने 5:30 घन्टे में पुरे किये ----- शुक्र है किये तो। 
@ सच पास 
10 मीटर ही चले होंगे नीचे की तरफ, देखते है की पूरे रस्ते पर बर्फ ही बर्फ जमी हुई है और कुछ दिख ही नहीं रहा आखरी तक जहा तक मोड़ है। बाइक रोकी और तीनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और हँसना शुरू और बोले "जय शंकर भगवन की........... चलो हिम्मत के साथ" वास्तिविकता में अब पता लगा की चढाई के मुकाबले उतराई में तो दस गुणा ज्यादा खतरा होता है। ऊपर या समतल हिस्से पर जाते वक़्त होता क्या है की टायर एक ही जगह घूमता रहेगा या फिर आगे नहीं जायेगा और पीछे फिसल जायेगा जिसके लिए कोई साथ में होता है आगे धक्का देने के लिए लेकिन नीचे उतारते वक़्त तो कुछ न भी करो, तब भी बर्फ पर बाइक पूरी गति से फिसलती है और अगर गलती से ब्रेक लगा दिते तो बाइक से पूरा नियंत्रण खत्म हो जाता है और फिसल कर खाई में गिरने का डर लगातार भयभीत करता है।

आज सोचता हु की में जब चिलाता था जीरो की स्पीड से जीरो की स्पीड से तो हँसी आती है शून्य तो शून्य होता है लेकिन जब खुद एक कदम न रख पाओ उसपर बाइक भी सम्हालनी है और वो फिसल भी रही हो , और साइड में 100-150 मीटर गहरी खाई हो तो ऐसा ही होता है ,ऐसा एक पल भी विडियो में है देखिएगा। 

खैर हिम्मत के साथ हमने काफी जमे हुए झरने और बर्फ वाले हिस्सो को पार किया।  सूरज ढल गया था और अँधेरा में हम फारेस्ट चौकी पर पहुँचे .यानि 20 किलोमीटर 4:30 घन्टे में। अब हम बिलकुल थक चुके थे और इतने भयंकर पत्थर से भरे उबड़ खाबड़ रास्ते पर  तेज गति से बाइक चला रहे थे। उसमे भी मेने काफी जगह एक हाथ से बाइक चलायी और एक हाथ से रिकॉर्डिंग की क्योकि मेरा गो प्रो कैमरा लेह में स्टॉक कांगड़ी सम्मिट के दौरान खो गया था।
एक एक बूंद पानी से जमे 15-20 फुट तक के साइकल्स 
सही 8 बजे के आस पास हम किल्लाड़ पहुँचे और PNB के ATM के सामने होटल है उसमे रुके और शायद 800 रुपये क्रिया था एक कमरे का ,कमरे अच्छे थे। भूख बहुत भयंकर वाली लगी थी इसीलिए वहा का एक मात्र वैष्णो ढाभा ,मनोज भोजनालय पर पहुँच गए और क्या जबरदस्त स्वादिस्ट खाना खिलाया दिल खुश हो गया. इतना थकने के बाद भी सभी एक रूम में आये और वापस ताश का खेल शुरू आखिर मानसिक थकान भी तो मिटानी थी। और आज भी योगी भाई हार गए लेकिन कल जीत का परचम लहराने की बात करते हुए 11 बजे अपने कमरे में चले गए।

इसी बैंक एटीएम के सामने होटल में रुके 
यकीन मानियेगा रात में पहले एक घन्टे नींद नहीं आयी और बंद आँखों में भी खाई में गिरने का ख्याल आता रहा और दिल में दहशत का आलम था और सुबह नींद भी इसीलिए खुली क्योकि में सपने में खाई में गिर कर मर गया।
बून्द बून्द से जमे ज़िन्दगी , कुछ ऐसा ही बया करती ये जगह 
फिर 5 बजे बाद नींद नहीं आयी और आज के रोमांच से बिफ़िक्र था क्योकि आज सफर था दुनिया की सबसे जानलेवा रोड का सफर -------किल्लाड़ से किश्तवाड़ का सफर। 
दुनिया की सबसे खतरनाक रोड। . किल्लाड़ से किश्तवाड़ 
उम्मीद है आप सबको वृतान्त अच्छा लगा होगा। अगले हिस्सा किल्लाड़ से किश्तवाड़ जल्द ही 


बर्फ में बाइक चलाते वक़्त कुछ अवश्य बाते:

1 - संयम - कभी भी जल्दबाज़ी न करे बर्फ में ,नहीं तो दुर्घटना होगी ही।  
2 - आगे वाले ब्रेक कभी भी न लगाए क्योकि इससे हमेशा टायर फिसलेगा हैंडल घूमेगा।  
3 - हमेशा पहाड़ की तरफ चले , गलती से भी खाई की तरफ न जाये बर्फ में। 
4 - बर्फ में हमेशा साथी दोस्तों की मदद ले और उनके साथ ही चले,क्योकि अगर  कही फिसले या धक्का      लगाना पड़े तो वो सम्हाल तो लेंगे  , मुसीबत कह कर नहीं अति।  
5 - जब भी बर्फ में चलाये जितना ज्यादा धीमे चला सके उतना अच्छा क्योकि नियंत्रण भी उतना अच्छा            रहेगा और ब्रेक भी कम लगाने पड़ेंगे (0-10 की स्पीड ज्यादा से ज्यादा)
6 - बाइक के टायर की गुड्डी (डिजाईन) का बड़ा महत्व है। 


सावधानी और सुरक्षा सबसे पहले ...... जीवन है तो समय ही समय है

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सच पास विडियो :


मोटे अंगूर के जैसे 

सच पास की चोटी ,पीछे 

प्रकर्ति का अपना हिसाब 

आम नज़ारे , पुरे रासते 

बहुत ज्यादा मुश्किल सफर , लेकिन आनन्दमयी 

सही जगह थी 

चैंपियंस 


8 comments:

  1. बहोत ही बढ़िया यात्रा व्रतांत लगे रहो सनी भाई

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  2. गुरूदेव प्रणाम स्वीकार करें...
    मैं सोच रहा था कि आप रोहतांग के रास्ते कैसे वापस लौटेंगे, यह देखना रोमांचक होगा.. लेकिन किश्तवाड़ से वापस लौटने का निर्णय बहुत सही था... मेरी भी इच्छा है किश्तवाड़ से किलाड़ तक सर्दियों में ट्रैकिंग करने की... क्योंकि किसी गाड़ी या बाइक का तो सवाल ही नहीं...
    मिलूँगा आपसे किसी दिन.... छा गये आप...

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    1. Itni bade bari shabdo ke liye shukriya neeraj bhai.

      Jald hi mulakat hogi

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  3. जबरदस्त यात्रा .....आप तो रोमांच के भी पार चले गये ....
    ऐसे चित्र कम ही देखने को मिलते है ...इन चित्रों का साइज ब्लॉग में कुछ बड़ा किया जा सकता है

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    1. ritesh bhai mere ko nahi pata ki accha editor kaun sa hai jo photo ki quality ko bigade bina acche se compress kar de. nahi to bhaut sare pics dalu.

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  4. Vispgotak Tour ji 👍👚 💥thaa thaa

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